online Cyber Crime: आपका फोन नंबर ट्रैक तो नहीं हो रहा, इन कोड से पता कर सकते हैं स्मार्टफोन से जुड़ी खास बातें
यूटिलिटी डेस्क. Kahi Track to Nahi Ho Raha Hai Aap Ka Phone, WhatsApp, Cyber Crime Complaints online.
तकनीक के इस दौर में आपको हर एक घर में कई सारे Smartphones स्मार्टफोन देखने को मिलेंगे। लेकिन अब इन डिवाइसेज Ransomware की सुरक्षा यूजर्स के लिए चिंता का विषय बन गई है। क्योंकि आए दिन Hackers hacking Apple and Android Smartphones हैकर्स यूजर्स के डिवाइसेज को ट्रैक करने से लेकर डेटा चोरी कर ने तक का प्रयास करते हैं। ऐसे में ये चार कोड्स आपकी मदद कर सकते हैं।
आमतौर पर स्मार्टफोन यूजर्स को यह जानकारी ही नहीं होती है कि उनका डिवाइस कोई ट्रैक कर रहा है या फिर उनकी कॉल को कहीं और फॉरवर्ड किया जा रहा है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ चुनिंदा कोड्स लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप पता कर सकते हैं कि आपका मोबाइल कहीं ट्रैक तो नहीं हो रहा है।
Secret Code से पता करें कोड *#62#
जब कोई आपको कॉल करता है, तो कई बार आपका नंबर नो-सर्विस या नो-आंसर बोलता है। तो ऐसे में आप इस कोड को फोन में डायल कर चेक कर सकते हैं कि किसी ने आपके नंबर को री-डायरेक्ट तो नहीं कर दिया है। इसके अलावा आपका नंबर ऑपरेटर के नंबर पर री-डायरेक्ट भी हो जाता है।
Secret Code से पता करें कोड *#21#
अपने फोन में इस कोड को डायल करके आप आसानी से यह जान सकते हैं कि किसी ने आपके मैसेज, कॉल या डेटा को कहीं दूसरी जगह डायवर्ट तो नहीं कर दिया है।
Secret Code से पता करें कोड ##002#
यह कोड स्मार्टफोन के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसकी मदद से आप किसी भी फोन के सभी फॉरवर्डिंग को डी-एक्टिव कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपका कॉल कहीं डायवर्ट हो रहा है तो आप इस कोड को डायल कर डायवर्ट को आसानी से बंद भी कर सकते हैं।
Secret Code से पता करें कोड *#*#4636#*#*
इस कोड की मदद से आप अपने फोन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे फोन में कौन सी बैटरी है, वाई-फाई कनेक्शन टेस्ट, फोन का मॉडल, रैम इत्यादि। बता दें कि इन कोड को डायल करने पर आपके पैसे नहीं कटेंगे।
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सायबर हैकिंग के इन 6 तरीकों से कैसे बचें?
इन दिनों हमारे सभी महत्वपूर्ण ट्रांजेक्शन इंटरनेट पर हो रहे हैं. दुनिया भर में बढ़ती कनेक्टिविटी जहां हमारे जीवन को बहुत आसान बना रही है, वहीं इसके खतरे भी बढ़ गए हैं कि हमारी व्यक्तिगत जानकारी को कोई हैकर/सायबर क्रिमिनल चुरा ना ले. हैकर्स के पास अब बहुत से रास्ते हैं जिससे वह हमारी जानकारी चुराकर उनका दुरूपयोग कर सकता है
1. फिशिंग
फिशिंग दरअसल एक फ्रॉड इमेल है, जिसकी मदद से आपसे आंकड़े मंगाए जाते हैं. यह देखने में असली जैसा ही लगता है.हैकर फिशिंग ईमेल के जरिये आपको यह भरोसा दिलाने की कोशिश करता है कि वह आपके फायदे के लिए बैंक एकाउंट की जानकारी या अन्य आंकड़े मंगा रहा है.
मसलन आपके बैंक की तरफ से एक ईमेल आता है जिसमें कहा जाता है कि आपका डेबिट कार्ड रद हो गया है और कार्ड नंबर या आधार नंबर बताने पर ही आपको नया कार्ड जारी किया जायेगा. आपको लग सकता है कि बैंक ने ही यह जानकारी आपसे मांगी है, लेकिन यह हैकर हो सकता है.
कैसे चोरी होती है जानकारी
फिशिंग ईमेल में एक लिंक होता है जिस पर आपको क्लिक कर नकली वेब पेज पर ले जाया जाता है. अगर आप उनके झांसे में आ गए तो आप वहां अपने एकाउंट की जानकारी दर्ज कर देते हैं और यह हैकर के सर्वर में चला जाता है. इसके बाद हैकर इन जानकारियों का इस्तेमाल कर आपके बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से रकम उड़ा सकता है.
दूसरा तरीका यह है कि आपको ईमेल में एक अटैच मेंट भेजा जाता है, जिसे डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है. जैसे ही आप इसे डाउनलोड करते हैं, और खोलते हैं, आपके सिस्टम में एक मेल वेयर इंस्टाल हो जाता है. यह आपके डिवाइस और आंकड़ों तक हैकर की पहुंच बना डेटा है, जिससे वह आपके खाते को एक्सेस कर सकता है.
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कैसे रहें सुरक्षित
- डोमेन नाम या ईमेल एड्रेस में स्पेलिंग की गलतियों पर ध्यान दें. सायबर क्रिमिनल आम तौर पर उस तरह का ईमेल यूज करते हैं जो नामी कंपनियों का हो, बस वे उसमें थोडा सा हेर-फेर कर देते हैं, जिससे कि वह वास्तविक लगे.
- किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें. अगर कोई संदिग्ध ईमेल दिखे तो उस पर क्लिक ना करें.
- सायबर क्रिमिनल्स आम तौर पर आपको सुरक्षा के खतरे की धमकी देते हैं. ऐसे झांसे में ना आयें. स्थिति पर अपना दिमाग लगायें और उसके बाद अपने वित्तीय संस्थान से बात करें.
2. मेल वेयर क्या है?
यह एक सॉफ्टवेयर है जो किसी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े की चोरी के लिए बनाया जाता है. यह प्रोग्राम संवेदनशील आंकड़े चुराने, उसे डिलीट कर देने, सिस्टम के काम करने का तरीका बदल देने और सिस्टम पर काम करने वाले व्यक्ति पर नजर रखने जैसे एक्टिविटी करता है.
आपके सिस्टम में यह प्रोग्राम कई तरीके से इंस्टाल हो सकता है. कोई आउट डेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम या पायरेटेड ओएस, अनजाने लिंक पर क्लिक करने, या नकली सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने की वजह से मेल वेयर इंस्टाल हो सकता है.
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कितने तरह के मेल वेयर
- वायरस: यह किसी सॉफ्टवेयर को प्रभावित करने से लेकर सिस्टम के कामकाज पर असर डालने में सक्षम है. यह खुद को डेटा फाइल/प्रोग्राम या बूट सेक्टर की तरह बदलने में सक्षम होता है. यह कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में जाकर फाइल/सिस्टम तक आपकी पहुंच को मुश्किल बनाता है.
- ट्रोजन: यह आपके सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैक डोर बनाता है जिससे हैकर आपके सिस्टम पर नजर रख सकता है. यह खुद को किसी सॉफ्टवेयर की तरह दिखाता है और किसी टेम्पर्ड सॉफ्टवेयर में मिल जाता है.
- स्पाई वेयर: यह आपकी जासूसी करने के लिए बनाया गया है. यह खुद को बैक ग्राउंड में छिपा कर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी को चेक करता है. यह आपकी आईडी, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर और नेट चलाने की आदत को पढ़ता है. यह कीबोर्ड, वीडियो और माइक्रोफोन आदि की चीजें रिकॉर्ड कर सकता है.
- की लॉगर: यह स्पाई का ही एक विकल्प है जो आपके कीवर्ड को रिकॉर्ड कर लेता है. ये लॉग्स अटैकर को भेज दिए जाते हैं. उसकी मदद से हैकर आपका पासवर्ड, चैट, क्रेडिट कार्ड नंबर या अन्य जानकारी पा लेता है.
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कैसे रहें सुरक्षित?
- अच्छा एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टाल करें
- कोई नकली सॉफ्टवेयर डाउनलोड ना करें, इनके जरिये मेल वेयर आपके सिस्टम में आ सकता है.
- एंटी वायरस के नकली पॉप अप पर कभी क्लिक ना करें
- अपने सिस्टम के ऑपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें.
- पायरेटेड एप या सॉफ्टवेयर से हमेशा बचें. इनमें मेल वेयर हो सकता है.
3.मोबाइल एप्स
गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर पर मौजूद सभी एप सुरक्षित नहीं होते. एक तो ये एप आपसे मोबाइल के सभी डेटा तक पहुंच की परमिशन मांगते हैं जिससे हैकर आपकी सारी जानकारी चुरा सकता है और दूसरे मैसेज/मीडिया फाइल तक पहुंच होने से यह आपकी गोपनीय जानकारी भी सार्वजानिक कर सकता है.
यह सभी अनुमति किसी एप्लीकेशन को ना देने के प्रयास करें
एकाउंट एक्सेस:इससे आपके गोपनीय आंकड़े सुरक्षित रहेंगे. इनमें ईमेल और कॉन्टैक्ट लिस्ट शामिल है.
एसएमएस की इजाजत: यह प्रीमियम रेट वाले नंबर पर एसएमएस भेजने से रोकेगा और मोबाइल में आपका बैलेंस बना रहेगा.
माइक्रोफोन तक पहुंच: इससे आपकी बातचीत रिकॉर्ड की जा सकती है.
डिवाइस एडमिन परमिशन: इससे हैकर दूर बैठकर भी आपके डिवाइस को कंट्रोल कर सकता है. वह आपके कामकाज पर नजर रखने और सभी आंकड़े उड़ा देने जैसी हरकत भी कर सकता है.
कॉन्टैक्ट्स:हैकर इसकी चोरी कर आपके जानने वालों को तंग कर सकता है, या यह आंकड़े बेच सकता है.
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कैसे बचें?
- किसी एप को डाउनलोड करने से पहले परमिशन चेक करें
- उसकी समीक्षा और रेटिंग पर ध्यान दें
- 50,000 से कम डाउनलोड वाले एप ना इंस्टाल करें
- थर्ड पार्टी एप स्टोर से एप ना लें
- पायरेटेड/क्रैक एप डाउनलोड ना करें
4.स्मिशिंग
क्या है स्मिशिंग
यह भी फिशिंग का ही एक तरीका है जिसमें आप फोन या एसएमएस पर किसी को व्यक्तिगत जानकारी दे देते हैं. यह ऑनलाइन सिक्योरिटी के मामले में नया खतरा बनकर उभर रहा है.
कैसे होती है चोरी
सोशल इंजीनियरिंग का उपयोग कर कोई व्यक्ति आपकी व्यक्तिगत जानकारी आपसे मांगता है और आप उसे दे देते हैं. इसमें आपके भरोसे का इस्तेमाल कर आपसे जानकारी ली जाती है. अटैक करने वाला आपसे ऑनलाइन पासवर्ड से लेकर बैंक एकाउंट डीटेल या OTP/CVV तक कुछ भी मांग सकता है.एक बार आंकड़े मिल जाने के बाद वह कई तरह से आपकी जानकारी का यूज कर सकता है.
कई बार यह मैसेज छोटे से लिंक में भी आते हैं जिस पर क्लिक करने पर आपको जरूरी जानकारी वहां देनी होती है.
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इससे सुरक्षित कैसे रहें?
- फोन काल या sms पर अपनी गोपनीय जानकारी किसी को ना दें.
- किसी मैसेज पर आये लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे अच्छी तरह चेक करें.
- अगर किसी जानकार के नंबर से आंकड़े मांगने का संदेश आया हो तो उन्हें फोन कर बात करें और पूछें कि जानकारी क्यों चाहिए.
5. सुरक्षा से जुड़े फिजिकल खतरे
आपका लैपटॉप, हर डिस्क या मोबाइल लेकर उससे गोपनीय जानकारी चुरा लेना दरअसल इस तरह के खतरे में आता है.
यह तकनीकी खतरों की तुलना में कम महत्व वाला खतरा माना जाता है. यह चोरी किये गए डिवाइस से आंकड़े निकालकर उसका इस्तेमाल करने का मामला है. यह आपके घर या दफ्तर, कहीं भी हो सकता है.
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कैसे बचें इस खतरे से?
- अपनी जानकारी संभालकर रखें. अगर कंप्यूटर/स्मार्टफोन में इस तरह की जानकारी है तो उसे पासवर्ड या पैटर्न से सुरक्षित करें.
- पासवर्ड लिखकर रखने की आदत ना डालें.
- सिस्टम को शट डाउन करने या बैंकिंग साईट से लॉग आउट करने के बाद ही बाहर आयें.
- फोन को लॉक करें.
- अगर आपका डिवाइस खो जाता है तो उस स्थिति में आप आंकड़ों को घर बैठे मिटा सकें, ऐसी व्यवस्था बनायें
6. असुरक्षित नेटवर्क
पब्लिक वाई-फाई यूज करने वाले ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी हैकर आसानी से चुरा सकते हैं. जिन जानकारी को हैकर चुराने का प्रयास करते हैं उनमें क्रेडिट कार्ड की डीटेल्स, पासवर्ड, चैट मैसेज, ईमेल आईडी, पैन नंबर, आधार नंबर सहित अन्य जानकारी शामिल हैं. इसे सामान्य भाषा में आइडेंटिटी थेफ्ट कहते हैं. अपनी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए आप इन जगहों से शॉपिंग या नेटबैंकिंग जैसी एक्टिविटी बिलकुल ना करें.
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कैसे रहें सुरक्षित?
- ओपन इंटरनेट नेटवर्क से वित्तीय ट्रांजेक्शन बिलकुल ना करें.
- घर के वाई-फाई को सिक्योर बनायें और पासवर्ड कठिन रखें.
- आपकी सुरक्षा अपने हाथ में है. सावधान रहें और हर समय चौकसी बरतें.
- कोई हैकर हर वक्त आपके आंकड़ों पर नजर गडाए हुए है, जिससे सिर्फ सतर्कता ही बचाव है.
- इस सूत्र को हमेशा याद रखें-सावधानी हटी-दुर्घटना घटी.